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Wednesday, December 16, 2009

'पा' से प्रोमोशन




-प्रबुद्ध


'पा' और '3 इडियट्स'... दो ऐसी फ़िल्में जो फ़िल्म प्रोमोशन का व्याकरण नए सिरे से लिख रही हैं। दो ऐसी फ़िल्में जिनके पास बड़े स्टार का तड़का है, बड़े निर्देशक की कमान है लेकिन फिर भी जिन्होंने मानो ठान रखा है कि लोग अगर इन्हें बेहतरीन फ़िल्म की तरह याद रखेंगे तो जुदा प्रोमोशन के लिए भी।

जब रॉकेट सिंह के विषय में सुना था तो लगा कि फ़िल्म का प्रोमोशन भी कमाल का होगा लेकिन मैं ग़लत निकला। सेल्समैनशिप के सबक तो 'पा' और '3 इडियट्स' दे रही हैं। दरअसल 'पा' का प्रोमोशन कहीं न कहीं उस असुरक्षा से भी उपजा है जहां जोख़िम उठाने की ताक़त कम हो जाती है। एबी कॉर्प, अपने नए अवतार में जोख़िम लेने के मूड में क़तई नहीं है। सो, एक कम बजट की अच्छी कहानी को बेचने के लिए जो करना पड़े वो तैयार है। एक 67 साल के कलाकार को, जिसके सीने पे सम्मान के तमाम तमगे जगमग हैं, टीवी स्क्रीन पर हर थोड़ी देर में ऑरो की आवाज़ में बात करते हुए कोई गुरेज़ नहीं है। और सच पूछिए तो हो भी क्यूं। अपना सामान बेचने में शर्म कैसी? अमिताभ बच्चन आपको चैनल-चैनल, उस स्पेशल डेंचर के साथ ऑरो बने मिल जाएंगे। अब तो ऑरो कमेंट्री भी कर चुका है। यानी अख़बार से लेकर टीवी, टीवी से वेब और वेब से आपके आइडिया मोबाइल तक, वो हर जगह मौजूद है।

ज़रा दिमाग़ पर ज़ोर डालिए, बताइये इससे पहले बच्चन साहब इस तरह प्रचार करते नज़र आए थे कभी? अगर 'पा' का बोझ अमिताभ बच्चन ने अपने कंधों पे उठा ऱखा है तो '3 इडियट्स' के लिए मिस्टर परफ़ेक्शनिस्ट, आमिर ख़ान, अपने परफ़ेक्ट मेकओवर के साथ शहर दर शहर घूम रहे हैं। आपको याद होगा, 'गजनी' के प्रचार के दौरान आमिर का लोगों के बालों को वही स्टाइल देना। लेकिन इस बार वो अलग-अलग वेश में देश भ्रमण पर हैं। यानी वो केश की बात थी, ये वेश की है ! ख़बरिया चैनलों को बाक़ायदा इस 'भ्रमण' का वीडियो उपलब्ध कराया जाता है और हमारे चैनल इसे एक आज्ञा अथवा आदेश मानकर
बड़ी मासूमियत के साथ पूरा कर रहे हैं। आधे घंटे का अच्छा विजुअल मसाला जो है। चैनल को दर्शक मिलते हैं और आमिर की फ़िल्म को मुफ़्त का प्रचार। इसके लिए आमिर अपने चहेते क्रिकेटर और दोस्त सचिन को भी साथ ले आए हैं। पहला क्लू तो सचिन ने ही दिया था न।

इन दोनों फ़िल्म की प्रचार रणनीति ने कम से कम ये ज़रूर तय कर दिया है कि 2010 में अपनी फ़िल्म बेचने वालों को जमकर दिमाग़ी कसरत करनी पड़ेगी। तब तक, 2009 के 'सेल्समैन औफ़ द ईयर' सम्मान के हक़दार रॉकेट सिंह नहीं बल्कि 'पा' और '3 इडियट्स' हैं।

1 comment:

  1. एक दांत खाने के, एक दिखाने के और अब एक और बोलने के...
    मुझे तो बस ये कहना है कि प्रमोशन की बेशर्मी ने बिग बी जैसे महानायक को शाहरूख और आमिर से भी दो कमद पीछे ढकेल दिया है। कई बार शर्म आती है। अपनी कंपनी को स्थापित करने के चक्कर में बिग बी वो सबकुछ कर जाएंगे जो आजतक उन्होंने शायद न किया हो। हैरानी की बात ये है कि फिल्म के रिलीज के दो हफ्ते बाद भी अमिताभ पा के प्रमोशन में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं। हर न्यूज चैनल पर संवाददाताओं के साथ बिग बी नए दांत के साथ नजर आ रहे हैं। बातचीत के दौरान पहले वो अपनी जेब से एक डिब्बा निकालते हैं। उससे ऑरो के दांत निकालते हैं। उसे सेट करते हैं। चॉकलेट रिपोर्टर को पकड़ाते हैं और फिर शुरु हो जाते हैं फिल्म के डायलॉग के साथ। दुखद ये है कि इस चक्कर में कहीं ऐसा न हो कि बिग बी अपने असली दांत को भूल जाएंगे। अपने माल को बेचना और उसे खूब अच्छा कहना हर दुकानदार का धर्म है। पर ऐसा भी क्या कि माल बेचने के चक्कर में वो अपनी पुरानी छवि को दरकिनार कर दे।
    दोस्तों, चाहे बिग बी हों या फिर स्माल बी...हमाम ऐसी जगह है जहां हर कोई नंगा है। अथाह पैसे के मालिक बिग बी को ऐसी ओछी हरकत करते देख थोड़ी तकलीफ तो होती है। ऐसे में मजेदार बात ये है कि फिल्म में बाप का रोल करने वाले अभिषेक को अपनी कंपनी से लगता है ज्यादा लेना-देना नहीं है। वरना पिता के साथ वो अब भी प्रमोशन में दिखते जरूर।
    धीरज सार्थक

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