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Saturday, February 16, 2013

आठवाँ गोरखपुर फिल्म फेस्टिवल स्त्री संघर्ष और स्त्री मुक्ति के नाम




  वर्ष 2006 से गोरखपुर से ही शुरू हुआ प्रतिरोध का सिनेमा का फिल्म फेस्टिवल अब गोरखपुर शहर में आठवीं बार और इस अभियान की की कडी में 29 बार आयोजित होगा। इसका आयोजन 22, 23 और 24 फरवरी को सिविल लाइन्स स्थित गोकुल अतिथि भवन में किया जा रहा है। हर बार की तरह यह मेला किसी कार्पोरेट घराने या सरकारी मदद से नहीं बल्कि सिर्फ और सिर्फ गोरखपुर और पूर्वांचल के लोगों की मदद से हो रहा है। अपने लोगों और उनकी मदद पर भरोसा करने के कारण आज सात साल के थोड़े समय में यह अभियान अकेले उत्तर प्रदेश के छह शहरों -आजमगढ़, इलाहाबाद, बलिया, बनारस, गोरखपुर और लखनऊ में  नियमित हो चला है। इसके अलावा यह बिहार के पटना, उत्तराखंड के नैनीताल, मध्यप्रदेश के इंदौर, झारखंड के रांची, छत्तीसगढ़ ेके भिलाई में भी आयोजित हो रहा है।

आठवाँ गोरखपुर फिल्म फेस्टिवल स्त्री संघर्ष और स्त्री मुक्ति को समर्पित है। इस सिलसिले में प्रसिद्ध फ्रांसीसी फिल्मकार रॉबर्ट ब्रेस्सों की फीचर फिल्म मूशेत जो कि एक किशोरी के व्याकुल मन की कहानी है दिखाई जायेगी। फिल्म फेस्टिवल के आखिरी दिन दिल्ली में हुए दिसंबर 16 आन्दोलन को नजदीक से अपने कैमरे में कैद कर रहे छायाकार विजय कुमार की डायरी और इमरान द्वारा संकलित विडियो कोलाज रोड टू फ्रीडम भी इस बार के आयोजन का प्रमुख हिस्सा होंगे।
अपने शुरुआत से ही प्रतिरोध का सिनेमा अभियान देश में चल रहे विभिन्न आन्दोलनों को  मंच देता रहा है। इसी क्रम में इस बार प्रसिद्ध फिल्कार संजय काक की नयी डाक्यूमेंटरी  माटी के लाल  का पहला प्रदर्शन और  नगरी (झारखंड) में चल रहे  आन्दोलन पर बीजू टोप्पो द्वारा निर्देशित फिल्म प्रतिरोध को दिखाया जायेगा।

हर बार की तरह इस बार भी फिल्म फेस्टिवल को ज्यादा आत्मीय बनाने के उद्देश्य से दो व्याख्यान प्रदर्शनों के लिए फिल्म स्कालर ललिथा गोपालन और फिल्मकार तरुण भारतीय को विशेष रूप से आमंत्रित किया है। ललिथा भारतीय  फिल्मों में आर्काइवल फुटेज के इस्तेमाल पर अपनी प्रस्तुति लॉस्ट एंड फाउंड फुटेज नाम से देंगी वहीं तरुण  डाक्युमेंटरी फॉर्म के प्रयोग और दुरुपयोग के बारे में विस्तार से अपने व्याख्यान सच्चाई का सच में करेंगे।
बच्चों के लिए खास तौर पर तैयार किए गए सत्र में नितिन दास निर्देशित जादुई पंख श्रृखंला  की लघु फिल्मों के अलावा राजन खोसा द्वारा निर्देशित इस वर्ष की चर्चित बाल फिल्म गट्टू को दिखाया जाएगा।
आठवें गोरखपुर फिल्म फेस्टिवल में दिखाई जाने वाली और महत्वपूर्ण  फिल्में हैं तपन सिन्हा निर्देशित एक डाक्टर की मौत, गुरविंदर सिंह की पंजाबी फीचर फिल्म अन्हे घोरे दा  दान, आमिर बशीर द्वारा निर्देशित कश्मीरी फीचर फिल्म हारुद और स्टूडेंट फिल्म भारतमाता की जय।

फिल्म फेस्टिवल का एक और आकर्षण लखनऊ के तरक्कीपसंद शायर तश्ना जी पर बनी नयी डाक्यूमेंटरी  फिल्म  अतश का रहेगा। गोरखपुर के डाक्टर अजीज अहमद शायर अली सरदार जाफरी की जन्मशती के मौके पर उन्हें याद करते हुए उनकी रचनाओं को प्रस्तुत करते हुए उनकी जिंगदी और नग्मों पर बातचीत करेंगें। 
इस फेस्टिवल के मौके पर जसम के फिल्म समूह द ग्रुप की तरफ से कम कीमत वाली पुस्तकों की योजना के तहत आस्कर अवार्ड्स की राजनीति पर बलिया के संस्कूति कर्मी एवं लेखक रामजी तिवारी की किताब आस्कर अवार्ड्स- यह कठपुतली कौन नचावे का लोकार्पण भी होगा। 

गोरखपुर फिल्म फेस्टिवल के आयोजन समिति के अध्यक्ष रहे प्रसिद्ध राजनीतिक विचारक रामकृष्ण मणि त्रिपाठी की स्मृति में सभागार का नाम रामकृष्ण मणि सभागार रखा जा रहा है। गोरखपुर फिल्म सोसाइठी के संस्थापक सदस्य संस्कृति कर्मी आरिफ अजीज लेनिन की स्मृति में आरिफ अजीज लेनिन स्मृति गैलरी बनायी जाएगी जिसमें पुस्तक, फिल्म, पोस्टर प्रदर्शनी लगेगी। फेस्टिवल की आयोजन समिति की 10 फरवरी को हुई बैठक में वरिष्ठ कथाकार मदन मोहन को आयोजन समिति का अध्यक्ष और गोरखपुर विश्वविद्यालय में इतिहास के शिक्षक एवं सिनेमा समीक्षक डा चन्द्रभूषण अंकुर को आयोजन समिति का संयोजक चुना गया। 


मनोज कुमार सिंह, संयोजक  गोरखपुर फिल्म सोसाइटी द्वारा जारी

Thursday, February 7, 2013

Genre-ama: In February, at the Korean Cultural Centre


The Yeonghwa Film Club at the Korean Cultural Centre India explores the varied landscape of South Korean cinema through a selection of four films from four different genres. The films include both mainstream blockbusters and independent success stories that present fresh perspectives on established genres.
This Friday the Yeonghwa Film Club will be screening Daytime Drinking (2008), a deadpan comedy about three friends who go on a road trip.

Daytime Drinking (Natsul )
Noh Young-seok, 2008, 115 min

Date and time: 8th February at 6:30 PM

Synopsis: On a drunken night out with his friends, a broken-hearted young man is swayed into going to the countryside with them for a getaway. But when he gets there, he finds that not only have none of them showed up, but the tiny seaside town is shuttered - no shops are open, no tourists are around, the beach is freezing, and there’s no cell phone signal. Unable (and reluctant) to return to Seoul, he finds himself in the company of some very unusual locals and, subject to the rigid rules of 
Korean drinking culture, on an increasingly strange odyssey nursing a never-ending hangover. Shot on HD for $10,000, this dry, minimalist comedy heralded a new era of independent filmmaking in Korea.

(courtesy: Korean Cultural Centre)