tag:blogger.com,1999:blog-8331635316295125922.post8112728075968735531..comments2024-02-21T21:52:18.417+05:30Comments on New Delhi Film Society: 'गुलज़ार करेले की सब्ज़ी हैं, यार!'ashishhttp://www.blogger.com/profile/03375412394400789148noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-8331635316295125922.post-28892689039137457152010-01-18T12:01:47.968+05:302010-01-18T12:01:47.968+05:30जिस शख़्स का चिट्ठा फ़ैज़ से खुलता हो, उसे जावेद अ...जिस शख़्स का चिट्ठा फ़ैज़ से खुलता हो, उसे जावेद अख़्तर और गुलज़ार का फ़र्क़ तो समझ में आना ही था. बहुत अच्छा लिखा है. अपन भी भक्त हैं: गुलज़ार पर अगर लंबा लिखने का इरादा हो तो हम छापना चाहेंगे. <br /><br />रविकान्त ऐट सराय डॉट नेट.रविकान्तhttps://www.blogger.com/profile/12413388061119972434noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8331635316295125922.post-74650232815537253052010-01-18T08:30:19.447+05:302010-01-18T08:30:19.447+05:30भईया,बुद्धि के द्वार तो वही जाय जिसे लकीरें खीचनी ...भईया,बुद्धि के द्वार तो वही जाय जिसे लकीरें खीचनी हों..हम तो सांवरे और कत्थई दोनों पर रीझते हैं..हमें तो तवे के गरम रोट भी भाते हैं..और तंदूर भी..अख्तर और गुलजार..अब बचपने के कौतूहल से निकल हम तो बरगद की छांव में घड़ी भर तपन बुझाना चाहते हैं...PRATYUSH GAUTAMhttps://www.blogger.com/profile/03855868724933152299noreply@blogger.com