tag:blogger.com,1999:blog-8331635316295125922.post4182294703607175802..comments2024-02-21T21:52:18.417+05:30Comments on New Delhi Film Society: सत्य की सर्च: वाया 'डेल्ही बेली'ashishhttp://www.blogger.com/profile/03375412394400789148noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-8331635316295125922.post-92074287064916149062011-07-15T15:36:05.802+05:302011-07-15T15:36:05.802+05:30दिल्ली का मूड सिर्फ गालियों में ही दिख सकता है...क...दिल्ली का मूड सिर्फ गालियों में ही दिख सकता है...कम से कम डेल्ही बेली को देखकर तो यही लगता है.....अगर डायलॉग और मसलों पर अश्लीलता का टैग लगाएं भी तो अश्लीलता को बोल्डनेस का जामा पहनाने वाले लाखों खड़े हो जाएंगे। सिनेमा की क्रांति से भला किसने इनकार किया है..लेकिन क्रांति का मतलब हमेशा सेक्जुअल ही हो ये क्यों जरूरी है..और अगर मान भी लिया जाए कि सेक्जुअल फ्रीडम ही असली फ्रीडम है तो भई उस फ्रीडम का इतने वीभत्स तरीके से दिखाना ही क्यों जरूरी है। खैर....आमिर की डेल्ही बेली से ये बात तो साफ हो ही जाती है कि कामयाबी के लिए कुछ भी करेगा..आमिर का मूलमंत्र है....अब बदनाम हुए तो क्या नाम न होगा...अब मिस्टर परफेक्शनिस्ट को यूथ का मिस्टर कूल कहलवाना भला क्यों नहीं पसंद आएगा..भले ही कूल लगने के लिए गालियों की गर्म बौछारें ही क्यों न छोड़नी पड़े....बस एक सलाह है आमिर....कम से कम किसी खास शहर और उसकी लिंगो के साथ ऐसी छेड़छाड़ अच्छी बात नहीं.......आइंदा इस बात का ख्याल रखें....Alka Singhhttps://www.blogger.com/profile/04752302496611924600noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-8331635316295125922.post-50928421645046789132011-07-15T13:10:15.800+05:302011-07-15T13:10:15.800+05:30भैया आमिर खान का हास्य बोध ऐसा ही है । थ्री ईडियट्...भैया आमिर खान का हास्य बोध ऐसा ही है । थ्री ईडियट्स में भी गंदा और घटिया । वो सिर्फ सेक्स और गालियों में ही खुश रहने वाला इनसान नहीं है । थ्री ईडियट्स में उसने रैगिंग करने वालों को कहां करंट लगाया । तोहफो कबूल करो में जो मुद्राएं बनाई गई । भाषण में बलात्कार वाला बदलाव । राजू रस्तोगी का अंगूठियां फैकने का अंदाज और जगह । प्रिंसिपल के लेटर बॉक्स पर पेशाब करना । राजू रस्तोगी के पिता के बुढ़ापे और बीमारी का घटिया मजाक उड़ाना । उनकी गरीबी का मजाक उड़ाना और पिता के एक्जिमा को रोटियों में मिलवाना ।<br /><br />ये सब चीजें इस के घटिया हास्य बोध का नतीजा है । इनमें से एक भी ऐसी चीज नहीं है जो हमारे समाज में लोग करते हों । <br /><br /> आमिर खान एक बीमार मानसिकता का आदमी है । पीपली लाइव में गरीबों की समस्या का तमाशा बनाकर भी इस इनसान ने यही किया । भारत में लोग देखा देखी महान कहते और मानते हैं । इसी आधार पर वो भी महान है । 50 साल बाद जब लोग इनमें से एक भी फिल्म के जरिये अगर एक भी राय भारत के समाज के बारे में बनाते हैं तो न तो सफाई देने के लिए आमिर होगा न मिहिर तुम.. आमिर की भाषा में कहें तो ये आमिर लगातार हम सब की ले रहा है । और तुम्हारे जैसे लोग लगातार इसका मज़ा ले रहे हैं । भगवान के लिए ये मज़ा दूसरों की कीमत पे मत लोAnonymousnoreply@blogger.com