Monday, April 7, 2014

फाल्के अवॉर्ड विजेता सिनेमेटॉग्राफर वी. के. मूर्ति का निधन

-NDFS Desk

मशहूर सिनेमेटॉग्राफर और दादा साहब फाल्के पुरस्कार विजेता वी. के. मूर्ति का सोमवार , 7 अप्रैल को निधन हो गया। उन्हे भारतीय सिनेमा मेें सिनेमेटॉग्राफी की नई तकनीक के बेहतरीन इस्तेमाल और फिल्मों में विजुअल के क्लासिक प्रयोग का श्रेय दिया जाता है। 
91 साल के मूर्ति का निधन बेंगलुरु के शंकरपुरम स्थित अपने घर पर हुआ। इसकी जानकारी उनकी भतीजी नलिनी वासुदेव ने दी और बताया कि उन्हें केवल उम्र संबंधी परेशानियां थीं। इस प्रसिद्ध सिनेमेटॉग्राफर के परिवार में उनकी बेटी छाया मूर्ति हैं।
मूर्ति को गुरु दत्त की लगभग सारी फिल्मों में कैमरे के बेहतरीन काम के लिए हमेशा याद किया जाएगा। इनमें 'प्यासा', 'साहब, बीबी और गुलाम', 'चौदहवीं का चांद', 'कागज़ के फूल' जैसी फिल्में प्रमुख हैं। 'कागज़ के फूल' भारत की पहली सिनेमास्कोप फिल्म थी। इस फिल्म के लिए उन्हे फिल्मफेयर अवॉर्ड भी मिला था। उन्हे 'साहब, बीवी और गुलाम' के लिए भी फिल्मफेयर मिला था। इसके अलावा 'चौदहवीं का चांद' फिल्म के टाइटल गीत के बेहतरीन पिक्चराइज़ेशन के लिए भी उनके काम की बेहद तारीफ हुई थी। 
मूर्ति ने लगभग चार दशकों तक अपने कैमरे का जौहर दिखाया। पचास के दशक में गुरुदत्त की फिल्मों से शुरु कर उन्होने नब्बे के दशक तक काम किया। उनकी आखिरी फिल्म 1993 में आयी कन्नड़ की बेहद चर्चित फिल्म 'हूवा हन्नु' थी। मूर्ति 1988 में दूरदर्शन पर प्रसारित हुए बेनेगल के मशहूर मेगासीरियल 'भारत एक खोज' के सीरिज़ सिनेमेटॉग्राफर भी रहे। 
खास बात यह है कि मूर्ति भारतीय सिनेमा के सबसे बड़े सम्मान दादा साहब फाल्के पुरस्कार से पुरस्कृत पहले टेक्निशियन थे। उन्हें साल 2008 में इस सम्मान से नवाजा गया था।

इसी ब्लॉग पर पढ़ें: 

V K Murthy to get Dada Saheb Phalke Award 2008